बलरामपुर में अवैध धर्मांतरण को आगे बढ़ाने के लिए छांगुर ने कई दांव चले थे। लोगों को लाभ देकर खुद की टीम से जोड़ने के लिए प्रॉपर्टी का कार्य भी करा रहा था। इस काम को महबूब और नवीन रोहरा देखते थे, जिससे अच्छी आमदनी होती थी। मुनाफा धर्म परिवर्तन कराने में खर्च होता था।

पहले लोगों को प्रभावित करने के लिए छांगुर उन्हें रुपये बांटता था और फिर इस्लाम धर्म कबूल करने का दबाव बनाता था। उत्तरौला में ही छांगुर ने छह स्थानों पर बेशकीमती जमीन खरीदी है। शहर में दो कॉम्प्लेक्स भी बनवाए हैं। इसके साथ ही प्लॉटिंग भी कर रहा था। 

छांगुर के राजदार रहे बब्बू चौधरी ने बातचीत में बताया कि छांगुर धर्म परिवर्तन कराने के लिए कई तरह से रुपये बांटता था। योजना के तहत छांगुर हिंदू श्रमिकों और गरीब परिवारों को पहले नियमित खर्च के लिए रुपये देता था। वह ऐसे लोगों को अपने घर में साफ-सफाई या जानवरों की देखरेख का काम सौंपता था। 

वेतन के साथ ही 100-200 रुपये रोज देता था। इसके बाद प्रभाव में लेकर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कहता और बेहतर जिंदगी का ख्वाब दिखाता था। छांगुर के यहां सफाई करने वाले संचित ने बताया कि उसे छांगुर ने धर्म परिवर्तन करने पर पांच लाख रुपये देने का लालच दिया था। इनकार पर दुष्कर्म के मामले में फंसा दिया। एटीएस ने भी संचित के बयान का जिक्र अपनी जांच में किया है।

छांगुर के जिहाद में पास्टर और पादरी का भी इस्तेमाल

हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन, लव जिहाद और देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में एटीएस के शिकंजे में आए जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के मंसूबे कहीं घातक थे। अवैध धर्मांतरण के लिए उसने नेपाल से सटे संवेदनशील सात जिलों में सक्रिय कुछ ईसाई मिशनरियों से भी सांठगांठ कर ली थी।

उनके पास्टर और पादरी को पैसे देकर कमजोर वर्गों का ब्योरा लेता था और फिर चिह्नित परिवारों को आर्थिक रूप से मदद कर प्रभाव में लेकर धर्म परिवर्तन कराता था। धर्मांतरण में होने वाले खर्च का पूरा हिसाब नसरीन रखती थी। नवीन से जलालुद्दीन बना नीतू का पति पुलिस और स्थानीय प्रशासन को मैनेज करता था।

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार देवीपाटन मंडल में मिशनरियों ने हर वर्ग के अनुसार प्रचारक नियुक्त किया है, जिससे परिवारों को समझाने और धर्मातरण के लिए राजी करने में आसानी होती है। 

इसकी पूरी चेन है। प्रचार, पास्टर और पादरी अहम कड़ियां हैं। इनके पास चुनिंदा क्षेत्रों के दलित, वंचित, गंभीर रूप से बीमार व आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों का पूरा ब्योरा होता है, जिसे छांगुर समय-समय पर पैसे और प्रभाव का उपयोग कर धर्मांतरण के लिए हासिल करता था। 
 
धर्म परिवर्तन की सूत्रधार रही नीतू उर्फ नसरीन

हिंदू परिवारों को प्रभावित करने के लिए छांगुर नीतू उर्फ नसरीन और नवीन उर्फ जलालुद्दीन का उदाहरण देता था। बताता था कि दोनों पहले सिंधी थे। इस्लाम स्वीकारने के बाद जिंदगी बदल गई। आज इनके पास पैसे हैं... आलीशान कोठी है... महंगी गाड़ी है...। इस्लाम स्वीकारते ही तुम्हारी भी जिंदगी बदल जाएगी।

मिशन आबाद की एक कड़ी है छांगुर

भारत-नेपाल बॉर्डर पर काम कर चुके पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह बताते हैं कि छांगुर पीर मिशन आबाद की एक कड़ी है। हिंदू परिवारों के धर्म परिवर्तन के बदले उसे विदेश से फंडिंग भी होती थी। इसकी रिपोर्ट भी बनी और गृह मंत्रालय को भेजी भी गई। देर से ही सही, लेकिन अब कार्रवाई पुख्ता हो रही है।

दरअसल, मिशन आबाद भारत-नेपाल के बीच तराई व मधेश क्षेत्र में समुदाय विशेष की आबादी बढ़ाने की कोशिश है। शिक्षण संस्थानों की आड़ में असम व पश्चिम बंगाल तक के लोगों को बसाने का प्रयास भी इसी का हिस्सा है।