नई दिल्ली: दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के भव्य मुख्यालय में एक छोटा, अत्यधिक सुरक्षित कमरा इन दिनों भारत की सबसे हाई-प्रोफाइल आतंकी जांच का केंद्र है। सिर्फ़ 14 फ़ीट लंबा और 14 फ़ीट चौड़ा यह सेल सीसीटीवी की निगरानी में है और चौबीसों घंटे सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। यह वही कमरा है, जहां 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद रखा गया था।

एनआईए बिल्डिंग को किले में तब्दील कर दिया गया

यह सेल सीजीओ कॉम्प्लेक्स में एनआईए बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर है, जो राणा के आने के बाद से किले में तब्दील हो गया है। इसके बाहर दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त तैनाती की गई है। बिना विशेष अनुमति के किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है - यहां तक ​​कि गुरुवार रात को पटियाला हाउस कोर्ट में राणा के पहुंचने से पहले मीडिया को भी परिसर से बाहर कर दिया गया था।

सिर्फ़ 12 चुनिंदा अधिकारियों को ही अनुमति

सेल के अंदर बहुस्तरीय डिजिटल सुरक्षा प्रणाली लगाई गई है। हर कोने पर सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जा रही है और सिर्फ 12 चुनिंदा एनआईए अधिकारियों को ही अंदर जाने की इजाजत है। फर्श पर एक बिस्तर बिछा दिया गया है और एक अटैच बाथरूम भी है, ताकि राणा की हरकतें सीमित रहें। सेल के अंदर उसे खाना, पीने का पानी और दवा जैसी सभी बुनियादी जरूरतें मुहैया कराई जाएंगी।

18 दिनों तक एनआईए की हिरासत में राणा 

पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक 64 वर्षीय राणा गुरुवार को अमेरिका से प्रत्यर्पण विमान के जरिए दिल्ली पहुंचा। कुछ घंटों बाद उसे पटियाला हाउस स्थित विशेष एनआईए अदालत में पेश किया गया। अदालत कक्ष से सभी गैर-जरूरी लोगों को बाहर कर दिया गया। विशेष एनआईए पीठ के न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने एनआईए को 20 दिनों के बजाय 18 दिनों की हिरासत दी।

राणा का केस पीयूष सचदेवा लड़ेंगे

राणा बिना किसी कानूनी प्रतिनिधि के पेश हुआ, जिसके बाद न्यायाधीश ने उसे दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए कानूनी सहायता के प्रावधान की जानकारी दी। इसके तहत अधिवक्ता पीयूष सचदेवा को उसका वकील नियुक्त किया गया।