टैरिफ तो सिर्फ एक शुरुआत! Trade War के भविष्य को लेकर निवेशकों के लिए 4 जरूरी टिप्स

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा दुनियाभर के देशों पर लगया गया जवाबी टैरिफ (Reciprocal Tariff) तो सिर्फ टीजर है, ट्रेड वॉर की असली पिक्चर तो आभी बाकी है। यही चेतावनी देती है DSP म्युचुअल फंड की ताजा रिपोर्ट, जो बताती है कि ट्रेड वॉर के अलग-अलग हालात—चाहे वह सबसे बेहतर हो या सबसे खराब—कैसे वैश्विक और भारतीय बाजारों को झकझोर सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई बार निवेशक इस तरह की स्थितियों को हल्के में ले लेते हैं और मान लेते हैं कि असर मामूली होगा। लेकिन यह सोच काफी जोखिमभरी हो सकती है, क्योंकि असली चुनौती अक्सर अनुमान से कहीं बड़ी होती है।
ट्रेड वॉर को हल्के में लेने की गलती न करें
रिपोर्ट में फंड हाउस ने कहा कि अक्सर निवेशक ट्रेड वॉर जैसी स्थिति को हल्के में ले लेते हैं, लेकिन यह नजरिया जोखिम भरा हो सकता है। कई लोग मानते हैं कि टैरिफ जल्द ही वापस ले लिए जाएंगे, इसलिए यह सिर्फ एक छोटी परेशानी है। कुछ यह भी तर्क देते हैं कि भारत में टैरिफ 26% और चीन में 54% हैं, इसलिए हम बेहतर स्थिति में हैं। साथ ही, भारत का अमेरिका को निर्यात GDP का सिर्फ 2% है, जिससे बड़ा असर नहीं पड़ेगा। और चूंकि हमने 2008 की ग्लोबल मंदी और कोविड जैसी स्थितियों को झेला है, तो इसे भी झेल लेंगे। हालांकि, ये सोच अक्सर बाजार की असली चुनौती को नजरअंदाज कर देती है और सतर्क रणनीति अपनाने से रोकती है।
ट्रेड वॉर को कैसे समझें?
DSP म्युचुअल फंड की एक रिपोर्ट में ट्रेड वॉर के प्रभाव को लेकर तीन संभावित हालातों के आधार पर विश्लेषण किया गया है। इसमें सबसे बेहतर से लेकर सबसे खराब स्थिति तक के प्रभावों को समझाया गया है, जो वैश्विक और भारतीय बाजारों पर पड़ सकते हैं।
1. सबसे बेहतर स्थिति (Best case): ट्रंप 2 अप्रैल से पहले के स्तर तक टैरिफ वापस ले लें या अस्थायी रोक (moratorium) की घोषणा करें। यह सबसे मजबूत डैमेज कंट्रोल माना जाएगा और बाजारों के लिए अल्पकालिक रूप से सकारात्मक साबित हो सकता है।
2. सबसे संभावित स्थिति (Most likely case): ट्रंप द्विपक्षीय बातचीत के लिए सहमत हो जाएं। इससे कई विजेताओं और हारने वालों के बीच संतुलन बन सकता है, लेकिन बाजारों में अस्थिरता और घबराहट बनी रह सकती है।
3. सबसे खराब स्थित (Worst case): अन्य देश न सिर्फ अमेरिका के खिलाफ, बल्कि एक-दूसरे के खिलाफ भी जवाबी कार्रवाई करें। यह स्थिति पूरी दुनिया के विकास के साथ ही साथ भारत की ग्रोथ पर गंभीर असर डाल सकती है। बाजार इसे हल्के में नहीं लेंगे—और हर गुजरते दिन के साथ यह आशंका और मजबूत होती जा रही है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
1. नए निवेश के लिए हाइब्रिड फंड्स का इस्तेमाल करें: DSP म्युचुअल फंड के एक्सपर्ट्स सलाह देते है कि निवेशकों को नए निवेश के लिए हाइब्रिड फंड्स का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि बाजार पहले ही कुछ हद तक गिर चुके हैं। खासतौर पर DAAF (डायनामिक एसेट एलोकेशन फंड) और MAAF (मल्टी एसेट एलोकेशन फंड) कैटेगरी पर ध्यान दें। अगर आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी का हिस्सा कम है, तो हाइब्रिड फंड्स के जरिए बैलेंस बनाएं।
2. टैरिफ या बाजार के भविष्य का अनुमान लगाने से बचें: टैरिफ को लेकर आगे क्या फैसले लिए जाएंगे और बाजार की इस पर क्या प्रतिक्रिया होगी निवेशकों को यह अनुमान लगाने से बचना चाहिए। अगर भारतीय लार्ज-कैप स्टॉक्स में और 10–15% की गिरावट आती है, तो वे औसत वैल्यूएशन के करीब आ सकते हैं। ऐसी स्ट्रैटेजीज़ को अपनाएं जो क्वालिटी पर जोर देती हों और वैल्यूएशन को महत्व देती हों। चूंकि निवेश कोई सटीक विज्ञान नहीं है, इसलिए निवेश को किस्तों में करें। जल्दीबाजी की कोई जरूरत नहीं है।
3. बार-बार ट्रेडिंग करने से बचें: जब बाजारों में उतार-चढ़ाव हो रहा हो, तो बार-बार फैसले लेने या ट्रेडिंग करने से बचें। जितनी कम एक्टिविटी होगी, उतना ही आपकी मानसिक ऊर्जा बचेगी। ज्यादा एक्टिव होना लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
4. कम दाम में बेहतर सौदे खरीदने का अवसर: सबसे जरूरी बात यह है कि ऐसे अनिश्चित समय में इक्विटी और अन्य एसेट्स में सस्ते दाम पर खरीदारी का मौका बनता है। जो निवेशक मल्टी-एसेट या कंजरवेटिव अप्रोच अपनाते हैं, वे ऐसे समय का फायदा उठा सकते हैं। जब कुछ निवेशक घबराकर बेचते हैं, तब धैर्य रखने वाले निवेशकों को अच्छे सौदे मिल सकते हैं। अपने निवेश की राह पर टिके रहें।