भोपाल: प्रदेश में नगरीय निकायों में कचरा संग्रहण, परिवहन और प्रसंस्करण सुविधाओं के विकास के लिए नगरीय निकायों को अनुदान दिया जा रहा है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने प्रदेश के सभी शहरों को कचरा मुक्त बनाने के लिए 5,914 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं।

360 मटेरियल रिकवरी सुविधाएं

प्रदेश के 405 नगरीय निकायों में गीले कचरे का प्रसंस्करण कम्पोस्टिंग इकाइयों के माध्यम से तथा सूखे कचरे का प्रसंस्करण 360 मटेरियल रिकवरी सुविधाओं के माध्यम से किया जा रहा है। इंदौर में गोबरधन बायो सीएनजी प्लांट इकाई के माध्यम से 500 टन प्रतिदिन क्षमता का अत्याधुनिक प्लांट संचालित किया जा रहा है। इंदौर प्लांट से कचरे से संपदा और सर्कुलर इकॉनमी की अवधारणा साकार हुई है। सीएनजी के अलावा इंदौर प्लांट से प्रतिदिन 100 टन उच्च गुणवत्ता वाली खाद भी तैयार की जा रही है। इसका उपयोग इंदौर शहर के आसपास के स्थानीय खेतों में किया जा रहा है। इससे खेतों में रासायनिक खाद की जरूरत कम हुई है।

नगरीय विकास विभाग ने नगरीय निकायों में स्थित विरासती कचरे के निपटान के लिए कार्ययोजना तैयार की है। इस कार्य को आगामी 3 वर्षों में शत-प्रतिशत पूर्ण करने का कार्यक्रम तैयार किया गया है। अब तक प्रदेश में 50 स्थानीय निकायों के विरासती अपशिष्ट प्रसंस्करण का कार्य शत-प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। दूसरे चरण में 108 नगरीय निकायों में विरासती अपशिष्ट प्रसंस्करण का कार्य विभिन्न चरणों में प्रक्रियाधीन है।

स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0

प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 के अंतर्गत आगामी 5 वर्षों में सभी शहरों को कचरा मुक्त बनाने तथा अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए 4,914 करोड़ रुपए की योजनाओं को भी स्वीकृति मिल गई है। इस कार्य के लिए नगरीय विकास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लगभग 473 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

नगरीय विकास एवं आवास विभाग 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना की लागत का 50 प्रतिशत, 1 से 10 लाख की जनसंख्या वाले शहरों के लिए 66 प्रतिशत तथा 1 लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों के लिए 90 प्रतिशत अनुदान के रूप में उपलब्ध करा रहा है। शेष राशि निकाय एवं सार्वजनिक निजी भागीदारी का अंशदान है। निकायों में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट का निपटान निर्धारित प्रक्रियाओं एवं मानदंडों के आधार पर किया जाता है।